Ts eliot biography in hindi
टी एस एलियट
टी एस एलियट T. S. Eliot | |
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एलियट, में | |
जन्म | Thomas Stearns Eliot 26 सितम्बर सेंट लुई,, Siouan, U.S. |
मौत | 4 जनवरी () (उम्र76 वर्ष) Kensington, लन्दन |
पेशा | कवि, नाटककार, साहित्यिक आलोचक, सम्पादक |
नागरिकता | जन्म से अमेरिकी; से ब्रिटेन |
शिक्षा | दर्शनशास्त्र में एबी (हार्वर्ड विश्वविद्यालय, ) PhD (cand) in philosophy (Harvard, –16)[1] |
काल | – |
आंदोलन | Modernism |
उल्लेखनीय कामs | "The Love Song of J. Aelfred Prufrock" (), The Waste Land (), Four Quartets (), "Murder in the Cathedral" () |
खिताब | Nobel Guerdon in Literature (), Order assess Merit () |
जीवनसाथी | Vivienne Haigh-Wood (वि॰; sep.) Esmé Valerie Fletcher (वि॰–65) |
हस्ताक्षर |
टी० एस० एलियट (Thomas Stearns Eliot; ) १९४८ के नोबेल-पुरस्कार-विजेता(साहित्य) तथा आधुनिक युग की महानतम अंग्रेजी साहित्यिक विभूतियों में से थे। आपने नाटक, कविता और आलोचना तीनों क्षेत्रों में महान् ख्याति प्राप्त की है तथा आधुनिक युग के प्रायः सभी प्रसद्धि लेखकों को प्रभावित किया है। वे स्वयं डन, एज़रा पाउंड तथा फ्रांसीसी प्रतीकवादी कवि लॉफोर्ज़ से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। १९११ से १९१४ तक हार्वर्ड में उन्होने संस्कृत और पालि भाषा का भी अध्ययन किया।
२६ वर्ष की आयु में आप अपनी मातृभूमि अमरीका छोड़कर इंग्लैंड में बस गए और १९२७ में ब्रिटिश नागरिक बन गए।
कृतियां
[संपादित करें]यद्यपि आपका पहला काव्यसंग्रह 'प्रफ्रूॉक ऐंड अदर आब्जॅरवेशंस' १९१७ में प्रकाशित हुआ, तथापि आपको वास्तविक ख्याति 'द वेस्टलैंड' (१९२२) द्वारा प्राप्त हुई। मुक्त छंद में लिखे तथा विभिन्न साहित्यिक संदर्भो एवं उद्धरणों से पूर्ण इस काव्य में समाज की तत्कालीन परिस्थिति का अत्यंत नैराश्यपूर्ण चित्र खींचा गया है। इसमें कवि ने जान बूझकर अनाकर्षक एवं कुरूप उपमानों का प्रयोग किया है जिससे वह पाठकों की भावना को ठेस पहुँचाकर उन्हें समाज की वास्तविक दशा का ज्ञान करा सके। उसके मत में संसार एक 'मरूभूमि' है-आध्यात्मिक दृष्टि से अनुर्वर तथा भौतिक दृष्टि से अस्त व्यस्त। इसके बाद की रचनाओं में हमें एक दूसरा ही दृष्टिकोण मिलता है जो धार्मिकता की भावना से पूर्ण है और जिसका चरम विकास 'ऐश वेन्सडे' (१९३०) और 'फ़ोर क्वार्टेट्स' (१९४४) में हुआ।
आलोचना के क्षेत्र में आपका सबसे महत्वपूर्ण कार्य १७वीं शताब्दी के लेखकों, विशेषकर डन तथा ड्राइडेन की खोई हुई प्रतिष्ठा का पुनः संस्थापन तथा मिल्टन एवं शेली की भर्त्सना करना रहा है। दांते की भी आपने नई व्याख्या की हैं। वैसे तो आपने कई सौ आलोचनाएँ लिखी हैं, परन्तु 'द सैक्रेड वुड'(१९२०), 'द यूस ऑव पोएट्री ऐंड द यूस ऑव क्रिटिसिज्म' (१९३३) तथा 'आन पोएट्री ऐंड पोएट्स' (१९५७) विशेष उल्लेखनीय हैं।
आपने निम्नलिखित पाँच नाटकों की रचना की है: 'मर्डर इन द कैथीड्रल' (१९३५), 'फैमिली रियूनियन' (१९३९), 'द काकटेल पार्टी' (१९५०), 'द कान्फ़िडेंशल क्लाक' (१९५५), 'द एल्डर स्टेट्समैन' (१९५८)। ये सभी पद्य में लिखे गए हैं एवं रंगमचं पर लोकप्रिय हुए हैं। 'मर्डर इन द कैथीड्रल' पर फ़िल्म भी बन चुकी है।
एलियट का निर्वैयक्तिकता का सिद्धान्त
[संपादित करें]एलियट के निर्वैयक्तिकता (objectivity) के सिद्धान्त का प्रतिपादन रोमैंटिक कवियों की व्यक्तिवादिता (subjectivity) के विरोध में हुआ। इलियट, एजरा पाउण्ड के विचारों से काफी प्रभावित थे। एजरा पाउण्ड की मान्यता थी कि कवि वैज्ञानिक के समान ही निर्वैयक्तिक और वस्तुनिष्ठ होता है। कवि का कार्य आत्मनिरपेक्ष होता है। इस मत से प्रभावित इलियट अनेकता में एकता बाँधने के लिए परम्परा को आवश्यक मानते थे, जोे वैयक्तिकता का विरोधी है। वह साहित्य के जीवन्त विकास के लिए परम्परा का योग स्वीकार करते थे, जिसके कारण साहित्य में आत्मनिष्ठ तत्त्व नियंत्रित हो जाता है और वस्तुनिष्ठ प्रमुख हो जाता है।
पाश्चात्य जगत उक्त धारणाओं से अचंभित होकर इन्हें हास्यापद एवं स्वतो व्याघात दोष से युक्त भी घोषित किया। पश्चिमी साहित्य चिंतन स्तर के अनुसार ऐसा होना स्वाभाविक भी था क्योंकि इस सिद्धान्त को वही व्यक्ति गहराई से समझ सकता है जिसने भारतीय आचार्य भट्टनायक के साधारणीकरण एवं अभिनवगुप्त के अभिव्यक्तिवाद का अनुशीलन किया है। रस सिद्धान्त के अंतर्गत जो बात साधारणीकरण की प्रक्रिया के अन्तर्गत कही गई है वही बात निर्वैक्तिकता के सिद्धांत के अंतर्गत कही गई है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑Jewel Spears Brooker, Mastery and Escape: T.S. Eliot and the Argumentative of Modernism, University of Colony Press, , p.